करणी सेना के संस्थापक कालवी बोले पद्मावती रोकने के लिए सिनेमाघर संचालकों को लिखेंगे खून से पत्र-यदि फिर भी लगी तो जो होगा हरि इच्छा
उज्जैन। इतिहास में कोई जोधा नहीं थी अकबर की पत्नी, यह बंबई में बैठे भांड नए सिरे से इतिहास को परिभाषित कर रहे हैं। हम लायक है या नालायक यह इतिहास लिखेगा। जोधा अकबर राजस्थान में रूकी, आज तक नहीं लगी। पद्मावती लग गई तो मैं मानता हूं मेरी मौत के समान होगी। हर पिक्चर हॉल को समझा देना खून से लिखे इतिहास पर कालिख नहीं पोतने देंगे। जाना था जयपुर जा रहा हूं मुंबई वहां पत्रकारों के माध्यम से बात करूंगा और शायद अंतिम पत्रकारवार्ता होगी। इसके बाद देश बंद जनता कर्फ्यू की तैयारी होगी। फिर बात नहीं होगी, खून से लिखा पत्र हर फिल्म हॉल वाले को थमाया जाएगा और स्पष्ट कहेंगे कोर्ट ने क्या कहा पता नहीं, सरकार क्या करेगी पता नहीं पर तू और हम यहीं एक जगह पर खड़े रहेंगे। हमारी इस धरती पर इतिहास पर कालिख पोतने के षड़यंत्र के तुम साक्षी मत बनना। खून देकर निवेदन करेंगे पद्मावती नहीं चलाओ और यदि फिर भी लगी तो फिर जो होगा हरि इच्छा। अहिंसा बहुत जरूरी है, गांधी जी ने अहिंसा का ही पाठ पढ़ाया था। अहिंसा बहुत जरूरी है, हिंसा तो मजबूरी है।
श्री राजपूत करणी सेना के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में करणी सेना के शीर्ष संस्थापक ठा. लोकेंद्रसिंह कालवी ने यह बात कही। श्री राजपूत करणी सेना की प्रदेश अध्यक्ष उर्मिला प्रहलादसिंह तोमर एवं प्रदेश महासचिव शेरसिंह सिसौदिया के अनुसार लोकेंद्रसिंह कालवी गुरूवार सुबह उज्जैन पहुंचे जहां रेलवे स्टेशन पर उनका स्वागत हुआ। यहां से वे महाकाल मंदिर पहुंचे जहां बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक किया। महाकाल से वाहन रैली के रूप में करणी सेना के पदाधिकारियों और क्षत्राणियों के काफिले के साथ शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए कालवी कालिदास अकादमी पहुंचे जहां पर प्रदेश पदाधिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां कमलेन्द्रसिंह हाड़ा करणी सेना प्रदेश प्रभारी, शक्तिसिंह राष्ट्रीय प्रवक्ता, शेरसिंह सिसौदिया महासचिव मध्यप्रदेश, रघुवीरसिंह बघेल प्रदेश संयोजक, धर्मेन्द्रसिंह सिकरवार प्रदेश उपाध्यक्ष, क्षत्रवर्धनसिंह चंद्रावत प्रदेश उपाध्यक्ष, महेन्द्रसिंह पंवार महासचिव, हर्षवर्धनसिंह उज्जैन संभाग अध्यक्ष, प्रदेश उपाध्यक्ष अंजू एच के सिंह ने संबोधित किया। प्रदेश अध्यक्ष उर्मिला प्रहलादसिंह तोमर के अनुसार इस अवसर पर टीकमसिंह उज्जैन संभाग उपाध्यक्ष, सुरेन्द्रसिंह भाटी, मंदसौर जिलाध्यक्ष रवीन्द्रसिंह चौहान, नीमच जिलाध्यक्ष अजयसिंह, रतलाम जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप, संतोष भदौरिया भिंड जिलाध्यक्ष, विजय राजावत शिवपुरी जिलाध्यक्ष, कुलदीप सिसौदिया श्योपुर जिलाध्यक्ष, अरविंद परिहार, अभयप्रताप चौहान, अवधेशसिंह परमार, धार जिलाध्यक्ष किरण सिसौदिया, देवास जिलाध्यक्ष प्रीति तौमर, उज्जैन जिलाध्यक्ष आशा तोमर, शाजापुर जिलाध्यक्ष जयश्री सिसौदिया, रतलाम जिलाध्यक्ष कृष्णकंवर चौहान, प्रियंका तोमर, रांका लक्ष्मी तोमर, अंजनासिंह प्रदेश प्रवक्ता, अक्षय बैस, नेहा जादौन, नीलिका तोमर, आगर जिलाध्यक्ष अर्चना कंवर राठौर सहित करीब एक हजार पदाधिकारी उपस्थित थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकेन्द्रसिंह कालवी ने कहा भंसाली के लिए इज्जत का सवाल है उसके द्वारा फिल्म में लगाए रूपयों के लिए, तो हमारा भी इज्जत का सवाल है हमारी बहन, बेटियों के लिए। कुछ भी न्यौछावर करना पड़े, समय, सोच और शरीर हर चीज के लिए तैयार हैं। 25 को फिल्म लगने के बाद सिर्फ केस, लाठी, आंसू गैस के गोले चलेंगे फिल्म नहीं रूकेगी। 25 से पहले इसे रोकेंगे। राजस्थान में फिल्म हॉल वाले और डिस्ट्रिब्यूटर मना कर चूके वहां जनता कर्फ्यू लग चुका। सेंसर बोर्ड ने मेवाड राजघराने के अरविंदसिंह, इग्नू यूनिवर्सिटी के कपिल कुमार, इतिहासकार डॉ. चंद्रमणी तीनों विषय विशेषज्ञों ने पद्मावती के लिए मना कर दिया था, फिल्म नहीं लगनी चाहिये। उनको बुलाया और दिखाया क्या इज्जत खराब करने के लिए था।
पद्मावती के विरोध में क्षत्राणियां जौहर करने को तैयार
फिल्म के विरोध में 24 जनवरी को चित्तौड़ में क्षत्राणियां जौहर तक करने को तैयार हैं, इसके लिए 1700 स्त्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। उनका कहना है 16 हजार न सही हम जितनी हैं फिल्म लगी तो उतनी ही जौहर कर लेंगी। अभी सरकारें अपने साथ हैं, जैसा मोदीजी ने बैन किया था जैसा जोधा अकबर पर जनता कर्फ्यू लगा था जैसे फना बंद हुई थी वैसे ही पद्मावती भी बंद होगी। पूरी मजबूती से सड़क पर आना होगा। देश को महसूस हो के कुछ भूकंप सा आने वाला है। एक भी सिर कटने नहीं देना, जहां खड़े हो मजबूती से खड़े होना, महिलाएं भी अपनी सहभागिता निभाएं। मध्यप्रदेश की पद्मीनी सिनेमाघरों में खून से लिखकर देंगी जौहर की ज्वाला है, फिल्म लगी तो बहुत कुछ जल जाएगा।
सिर कटाना नहीं, सिर गिनाना होंगे
नेताओं को अधिकार किसने दिया, हमने दिया, यह राजनीति हमसे है, हम राजनीति से नहीं, सरकारें हमसे है हम सरकार के भरोसे नहीं। सरकार रोके न रोके पद्मावती फिल्म को रोकना होगा। आशा थी सुप्रीम कोर्ट बंद करेगी, राज्य सरकारें बंद करेगी, सेंसर बोर्ड रोकेगा, प्रधानमंत्री बंद करवा देंगे, अब आशा है तो समाज से और जज्बे से जो इस फिल्म को बंद करवाएगा, अब किसी से आशा नहीं करेंगे। अब बंद करनी ही पड़ेगी और उसको करने का तरीका एकमात्र है सिर कटाना नहीं, सिर गिनाना।
उंगली उठाई तो हाथ काट देंगे
मत लो हमारे अनुशासन की परीक्षा हम तो फैल होने को ही बैठे हैं और राजपूत अनुशासन की परीक्षा में फैल हो गया तो अच्छा नहीं होगा। सख्त हिदायत है, सीधा सा आदेश है, मरना मना है। कोई संकल्प नहीं चाहिये के हम मर जाएंगे। मरना बिल्कुल मना है, मारना जरूरी है, मारना उन विचारों को, मारना इस पद्मावती फिल्म को और उसके लिए दुनिया में कोई ताकत है तो वो है सिर गिनाने की। सिर कटाए थे हमारे बुजुर्गों ने आज सिर गिनाने की जरूरत है। कोई शासन प्रशासन हमें नहीं रोक पाएगा। हम अनुशासन नहीं तोड़ना चाहते हम तो कह रहे हैं बार बार मत उंगली डालकर दांत गिनों हमारे अब हम काट लेंगे। अब हम छोड़ेंगे नहीं, उंगली उठाई तो हाथ काट देंगे, कब तक बर्दाश्त करें कोई तारीख है क्या। महाराणा सांघा के बाद पहली बार राजपूत संगठित हुआ है।
25 को लगेगा जनता कर्फ्यू
सब कहते हैं फिल्म देख लो, फिल्म देखने के बाद रोकने का तरीका है, 25 को लग गई तो कुछ नहीं कर पाएंगे, 100 अपने ही वहां देखने जाएंगे क्या उनसे ही लड़ेंगे, 25 आए पर पद्मावती नहीं लग पाए इसके लिए हर फिल्म हॉल वाले को एक खून से लिखा पत्र देंगे, महिला मोर्चे की 100-500 जितनी भी महिलाएं हैं पद्मावती के सम्मान में क्षत्राणियां मैदान में उतरे। 100 क्षत्राणियों को कोई बायपास करके निकल जाए आज भी ऐसी औकात किसी की नहीं है। 16 हजार स्त्रियां मर मिटी थी। अलाउद्दीन खिलजी हाथ लगाना तो दूर देख तक नहीं सका। हर फिल्म हॉल पर खड़े हो जाएं 25 को कोई फिल्म लग जाए पद्मावती नहीं लग पाए। फिल्म हॉल वाला ही मना कर दे फिल्म लगाने को यह जनता कर्फ्यू है।
हमारे दर्द को नोट छापने की मशीन नहीं बनने देंगे
भंसाली को थप्पड़ पड़ा तो ऐसा बताया जैसे बम फट गया हो। मेरे ही घर पर, मेरी ही बहन बेटी, दादी परदादी पर उंगली उठाएगा मैं थप्पड़ नहीं मारूंगा। हमारे दर्द को नोट छापने की मशीन नहीं बनने देंगे। अब मामला भंसाली का नहीं, देश का है। पहले दो-चार सरकारें थीं, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान अब भी फिल्म नहीं चलने देंगे। जैसे फना को सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट था, सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर भी था हमने तो कह दिया मेरे घर पर पिक्चर हॉल है नहीं, टॉकीज वाला फिल्म दिखाये तो उससे पूछो। फना फिल्म में गुजरात में यही हुुआ था फिल्म हॉल वाले, डिस्ट्रिब्यूटर ने मना कर दिया हम फिल्म नहीं लगाएंगे। यह व्यवस्था मध्यप्रदेश में, उज्जैन में पूरे देश में की जाए। फिल्म हॉल वाला ही अपने आप कर्फ्यू लगा दे हम नहीं लगा पाएंगे। सरकार साथ दे न दे इस बार बहुत अलग बात है।
जनता अदालत सबसे बड़ी, नहीं चलेगी पद्मावती
सबसे उपरी अदालत जनता है जनता ने कह दिया पद्मावती नहीं चलेगी तो फिर क्यों चलेगी। क्योंकि 200 करोड़ रूपये लगा दिये तो क्या हमने बिना कीमत के सिर कटा दिये। क्या हमारे बुजुर्गों के खून की कीमत न आंकी जाएगी। उस इतिहास पर कालिख पोतने का षड़यंत्र नहीं चल रहा है। इसे रोकने का प्रयास जोधा अकबर के समय भी किया था। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने, मोदी ने गुजरात में, उत्तरप्रदेश और राजस्थान में बैन हुई थी तीनों जगह फिर सुप्रीम कोर्ट आ गया और तीनों जगह फिल्म लगी पर राजस्थान में जनता कर्फ्यू था वहां यह फिल्म नहीं लगी। 21 को पता लग जाएगा किस फिल्म हॉल में यह फिल्म लगने वाली है, हर फिल्म हॉल वाले को बता दीजिये 25 को जनता के द्वारा कर्फ्यू है। खून से लिखा पत्र दे दीजिये टॉकीज के मेनेजर मालिक को। भंसाली आया था मना करने के बाद भी थप्पड़ पड़े।
